वो जो शायर था-यार जुलाहे-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar

वो जो शायर था-यार जुलाहे-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar वो जो शायर था चुप सा रहता था बहकी-बहकी सी बातें करता था आँखें कानों पे रख के सुनता था गूंगी ख़ामोशियों की आवाज़ें जमा करता था चाँद के साए गीली-गीली सी नूर की बूंदें ओक़ में भर के खड़खड़ाता था रूखे-रूखे …

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