वो जो बादल बरसे तो सह भी लूं-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
वो जो बादल बरसे तो सह भी लूं-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh वो जो बादल बरसे तो सह भी लूं। आंखें जो बरसे तो सह कैसे लूं।। बिजली जो कड़की है मेरे जिया पर वो हाल शब्दो से कह कैसे दूं।। धरती की प्यास को तौलता है …