वो अल्हड़ जवानी-उमेश दाधीच -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umesh Dadhich
वो अल्हड़ जवानी-उमेश दाधीच -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umesh Dadhich बहते दरिया सी अपनी अल्हड़ जिन्दगानी थी । मैं बस मुझमें था और मौजों की रवानी थी । उन यारों संग नापी थी शहर की कुछ गलियां । काटों को तोड़ा था और छेड़ी थी कुछ कलियां । बेफिक्री थी बातों …