वैभव की समाधि पर- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar
वैभव की समाधि पर- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar हँस उठी कनक-प्रान्तर में जिस दिन फूलों की रानी, तृण पर मैं तुहिन-कणों की पढ़ता था करुण कहानी। थी बाट पूछती कोयल ऋतुपति के कुसुम-नगर की, कोई सुधि दिला रहा था तब कलियों को पतझर की। प्रिय से लिपटी सोई …