वुसअते-बेकराँ में खो जायें -कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
वुसअते-बेकराँ में खो जायें -कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri वुसअते-बेकराँ में खो जायें आसमानों के राज़ हो जायें क्या अजब तेरे चंद तर दामन सबके दागे-गुनाह धो जायें शादो-नाशाद हर तरह के हैं लोग किस पे हँस जायें,किस पे रो जायें यूँ ही रुसवाईयों का नाम उछले इश्क़ …