वीणा-झंकार-कमनीय कामना-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

वीणा-झंकार-कमनीय कामना-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, नहीं लुभा लेता है उर को ललित लयों से पूरित गान; मोह नहीं मानस लेती है सरस कंठ की सुंदर तान। अंतर धवनित नहीं होता है सुने स्वर्ग धवनिमय आलाप; नहीं अल्प भी मुग्ध बनाता अति मंजुल स्वर-ताल-मिलाप। मौन हो …

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