विश्व-नगर में कौन सुनेगा मेरी मूक पुकार-विश्वप्रिया-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
विश्व-नगर में कौन सुनेगा मेरी मूक पुकार-विश्वप्रिया-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, विश्व-नगर नगर में कौन सुनेगा मेरी मूक पुकार- रिक्ति-भरे एकाकी उर की तड़प रही झंकार- ‘अपरिचित! करूँ तुम्हें क्या प्यार?’ नहीं जानता हूँ मैं तुम को, नहीं माँगता कुछ प्रतिदान; मुझे लुटा भर …