विवेकहीन-आवाज़ों के घेरे -दुष्यंत कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dushyant Kumar

विवेकहीन-आवाज़ों के घेरे -दुष्यंत कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dushyant Kumar जल में आ गया ज्वार सागर आन्दोलित हो उठा मित्र, नाव को किनारे पर कर लंगर डाल दो, हर कुण्ठा क्रान्ति बन जाती है जहाँ पहुँच लहरों की सहनशीलता की उसी सीमा पर आक्रमण किया है हवाओं ने, स्वागत ! विक्षुब्ध …

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