विडंबना-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

विडंबना-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, कंटकित हो क्यों कुसुमित सेज, बने क्यों अकलित कुसुम-कलाप; किसी की विलसित ललित उमंग बने क्यों क्रंदन-बलित विलाप। हरें क्यों अलकावलि का मान किसी के पलित पुरातन केश; मधुरतम-स्वर-लालायित-कान सुने क्यों नीरस कंठ-निदेश। दले क्यों कोई अमृदुल वृत्ति किसी के …

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राजस्थान-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

राजस्थान-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, जहाँ वीरता मूर्तिमंत हो हरती थी भूतल का भार, जहाँ धीरता हो पाती थी धर्म-धुरीण-कंठ का हार, जहाँ जाति-हित-बलि-वेदी पर सदा वीर होते बलिदान, जहाँ देश का प्रेम बना था सुरपुर का सुखमय सोपान, जिस अवनी के बाल-वृंद ने काटे …

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सहेली-1-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

सहेली-1-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, उलझे जाए सुलझ, भूलती राह बताए; मुँह न चिढ़ाए, बने रंगरलियाँ कर प्यारी। कभी गुदगुदाए इतना न कि आँसू आए; सदा सींचती रहे हृदयतल की फुलवारी। रहे खीज में रीझ कलेजे में कोमलता; सुख देखे हो सुखी, दुखों में दुखी …

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 क्रान्ति-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

 क्रान्ति-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, हाथ में उसके हो वह दीप, जो तिमिर भव का कर दे दूर; स्नेह-पूरित हो जिसका अंक, ज्योति जिसमें होवे भरपूर। पास उसके हो वह वर बीन, विनयमय हो जिसकी झंकार; सुनावें विश्व-बंधुता-राग छिड़े पर जिसके ध्वनिमय तार। धारा जिससे …

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समाज-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

समाज-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, बजाए वह वीणा रमणीय, मधु रतम हो जिसकी झंकार; मूर्च्छनाओं में हो वह मोह, मुग्ध हो जिसको सुन संसार। बताए वह अनुपमतम सूत्र, सकल पद जिसके हों बहु पूत; साधनाओं में हो वह मंत्र, सिध्दियाँ जिसकी हों अनुभूत। विलसती हो …

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स्वागत-गान-4-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

स्वागत-गान-4-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, हम हैं प्रभु को शीश नवाते। उमग-उमग स्वागत करते हैं, फूले नहीं समाते। बड़े भाग से ऐसे अवसर कभी-कभी हैं आते; लघु जन पर श्रीमानों-जैसे जन हैं कृपा दिखाते। नाम आपका ले जीते हैं, कीर्ति आपकी गाते; मिले आपका बल …

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 स्वागत-गान-3-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

 स्वागत-गान-3-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, आज खुल गया भाग हमारा। जहाँ दिखाते थे दुख-सोते, बही वहाँ रस-धारा। दिन फिर गये पड़ी धारती के, सूखा पौधा फूला; हुआ आज जंगल में मंगल, मिला सुख समय भूला। जो श्रीमान् श्रीमती को ले करके कृपा पधारे; तो हुन …

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स्वागत-गान-2-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

स्वागत-गान-2-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, सादर हम स्वागत करते हैं। बरसाने के लिए कल कुसुम मंजुल अंजलि में भरते हैं। अंतरज्योति जगाकर उसकी क्यों न जाय आरती उतारी; जिस प्रभु की प्रभुता अवलोके हुई जन-विबुधता बलिहारी। जिसने बन आनंद-वन-अधिप मन को आनंदित करडाला; क्यों न …

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 स्वागत-गान-1-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

 स्वागत-गान-1-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, आज कैसा सुंदर दिन आया। जिसकी सुंदरता की जन-मन-मुकुर में पड़ी छाया। काशी धाम-समान दूसरा धर्म-पीठ न सुनाया; कहाँ विलसती है, निशि-वासर विश्वनाथ की माया। कौन विविध विद्या-विवेक का सिध्द पीठ कहलाया; बुध्ददेव ने धर्म-चक्र रच कहाँ सिध्दि-फल पाया। सुरसरि-पावन, …

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कवींद्र-पंचक-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

कवींद्र-पंचक-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, महाचमत्कारक, लोल-लोचना, विचार-धारा-वलिता, विचक्षणा, चतुर्मुखी, रोचक-चित्र-चित्रिता, विचित्र है केशव-चित्त-चातुरी। समुद्र-उत्तल-तरंग-सी लसी, सुमेरु के शृंग-समान शोभिता, विरक्ति-हीना, अनुरक्ति से भरी, अचिन्त्य है केशव-उक्ति-उच्चता। सुधा-समाना, सरसा, मनोहरा, सुरापगा-सी सितता-विभूषिता, सिता-समा है वसुधा विकासिनी, सुहासिनी केशवर्-कीत्ति-सुंदरी। बड़ी रसीली, मधु माधुरीमयी, लसी लता-सी, सरि-सी …

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