विडंबना-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,
विडंबना-विविध रचनावली-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, कंटकित हो क्यों कुसुमित सेज, बने क्यों अकलित कुसुम-कलाप; किसी की विलसित ललित उमंग बने क्यों क्रंदन-बलित विलाप। हरें क्यों अलकावलि का मान किसी के पलित पुरातन केश; मधुरतम-स्वर-लालायित-कान सुने क्यों नीरस कंठ-निदेश। दले क्यों कोई अमृदुल वृत्ति किसी के …