यार अग़ियार हो गए हैं-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

यार अग़ियार हो गए हैं-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz यार अग़ियार हो गए हैं और अग़ियार मुसिर हैं कि वो सब यारे-ग़ार हो गए हैं अब कोई नदीमे-बासफ़ा नहीं है सब रिन्द शराबख़्वार हो गए हैं

 वापस लौट आई है बहार -कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

वापस लौट आई है बहार -कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz   जाग उठी सरसों की किरनें वापस लौट आई है बहार पौधे संवरे, सबज़ा निखरा धुल गये फूलों के रुख़सार वापस लौट आई है बहार सहमे-से अफ़सुरदा चेहरे उन पर ग़म की गर्द वही ज़ोरो-सितम वैसे के वैसे सदियों के …

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 सेहरा-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

सेहरा-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz सजायो बज़्म दरे-मयकदा कुशादा करो उठायो साज़े-तरब, एहतमामे-बादा करो जलायो चांद सितारे, चिराग़ काफ़ी नहीं येह शब है जशन की शब रौशनी ज़ियादा करो सजायो बज़्म कि रंजो-अलम के ज़ख़्म सिले बिसाते-लुत्फ़ो-मुहब्बत पे आज यार मिले दुआ को हाथ उठायो कि वक़्ते-नेक आया रुख़े-अज़ीज़ …

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 प्याम-ए-तजदीद-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

प्याम-ए-तजदीद-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz अहदे-उलफ़त को मुद्दतें गुज़रीं दौरे-राहत को मुद्दतें गुज़रीं मिसले-तस्वीरे-यास है दुनिया हाय कितनी उदास है दुनिया फिर तुझे याद कर रहा हूं मैं कितने बेकैफ़ रोज़ो-शब हैं कि तू वजहे-तजईने-महरो-माह नहीं हसरते-दीद खो चुका हूं मैं आह मैं और तेरी चाह नहीं इस तसन्नो …

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 नज्र-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

नज्र-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz तरबज़ारे-तख़य्युल शौके-रंगीकार की दुनिया मिरे अफ़कार की जन्नत, मिरे अशआर की दुनिया शबे-महताब की सहर आफ़रीं मदहोश मौसीकी तुम्हारी दिलनशीं आवाज़ में आराम करती है बहार आग़ोश में बहकी हुई रंगीनीयां लेकर तुम्हारे ख़न्दा-ए-गुलरेज़ को बदनाम करती है तुम्हारी अम्बरीं ज़ुल्फ़ों में लाखों फ़ितने …

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 नात-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

नात-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz (फ़ारसी रचना)”> ऐ तू कि हसत हर दिले-महज़ूं सराए तू आवुरदा-अम सराये दिगर अज़ बराए तू।1। ख़्वाजा ब-तख़्ते-बन्दा-ए-तशवीशे-मुलको-माल बर ख़ाक रशके-ख़ुसरवे-दौरां गदाए तू।2। आं जा कसीदा-ख़्वानी-ए-लज़्ज़ाते सीमो-ज़र ईं जा फ़कत हदीसे-निशाते-लकाए तू।3। आतश-फ़शां ज़े कहरो-मलामत ज़बाने-शैख़ अज़ असके-तर ज़े दर्दे-ग़रीबां रिदाए तू।4। बायद कि …

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मुनीज़ा की सालगिरह-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मुनीज़ा की सालगिरह-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz इक मुनीज़ा हमारी बेटी है जो बहुत ही प्यारी बेटी है हम ही कब उसको प्यार करते हैं सब के सब उसको प्यार करते हैं कैसे सब को न आये प्यार उस पर है वही तो हमारी डिक्टेटर प्यार से जो भी …

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 मेरे देस के नौनिहालों के नाम-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मेरे देस के नौनिहालों के नाम-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz वो गुंचे जो शबनम की इक बून्द खिलखिलाने की उम्मीद लेकर हमेशा तरसते रहे वो लालो-गुहर जिन्हें गुदड़ियों के अंधेरे से बाहर चमकते हुए दिन की हर इक किरन जगमगाने से पहलू बचाती रही जिनके नन्हें दिलों के कटोरों …

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मरसिया-ए-इमाम-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मरसिया-ए-इमाम-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz रात आई है शब्बीर पे यलग़ारे-बला है साथी न कोई यार न ग़मख़्वार रहा है मूनिस है तो इक दर्द की घनघोर घटा है मुशफ़िक है तो इक दिल के धड़कने की सदा है तनहाई की, ग़ुरबत की, परेशानी की शब है ये ख़ाना-ए-शब्बीर …

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मदह-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मदह-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz (हसीन शहीद सुहरवरदी मरहूम ने रावलपिंडी साजिश केस में मुलज़िमों की जानिब से वकालत की थी। मुकद्दमे के ख़ात्मे पर उनहें यह सिपासनामा पेश किया गया)”> किस तरह बयां हो तिरा पैराया-ए-तकरीर गोया सरे-बातिल पे चमकने लगी शमशीर वो ज़ोर है इक लफ़्ज़ इधर …

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