यार अग़ियार हो गए हैं-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
यार अग़ियार हो गए हैं-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz यार अग़ियार हो गए हैं और अग़ियार मुसिर हैं कि वो सब यारे-ग़ार हो गए हैं अब कोई नदीमे-बासफ़ा नहीं है सब रिन्द शराबख़्वार हो गए हैं