ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5
ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5 इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें जितने कमज़र्फ़ हैं महफ़िल से निकाले जायें मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन, जब मज़ा है तेरे आँगन में उजाले जायें ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन, …