ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5 इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें जितने कमज़र्फ़ हैं महफ़िल से निकाले जायें मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन, जब मज़ा है तेरे आँगन में उजाले जायें ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन, …

Read more

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4 अपने होने का हम इस तरह पता देते थे अपने होने का हम इस तरह पता देते थे खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे बेसमर जान के हम काट चुके हैं जिनको याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे उसकी महफ़िल …

Read more

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 3

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 3 आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे, इस जज़ीरे को भी समन्दर दे अपना चेहरा तलाश करना है, गर नहीं आइना तो पत्थर दे बन्द कलियों को चाहिये शबनम, इन चिराग़ों में रोशनी भर दे पत्थरों के सरों से …

Read more

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 2

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 2 अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया ये तिरा ख़त तो नहीं है कि जिला भी न सकूँ …

Read more

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 1

ग़ज़लें-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 1 आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो एक ही नद्दी …

Read more