इक गीत देश-छड्ड के जान वाल्यां लई-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

इक गीत देश-छड्ड के जान वाल्यां लई-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz “वतने दियां ठंडियां छाईं ओ यार टिक रहु थाईं ओ यार” रोज़ी देवेगा सांईं ओ यार टिक रहु थाईं ओ यार हीर नूं छड्ड टुर ग्युं रंझेटे खेड़्यां दे घर पै गए हासे पिंड विच कढ्ढी टौहर …

Read more

कता-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

कता-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz अज्ज रात इक रात दी रात जी के असां जुग हज़ारां जी लिता ए अज्ज रात अंमृत दे जाम वांगूं इन्हां हत्थां ने यार नूं पी लिता ए

मेरी डोली शौह दरिया-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मेरी डोली शौह दरिया-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz   (१९७४ दे हढ़-पीड़तां दे सहायता-कोश दे लई रची गई) कल्ल्ह तांईं सानूं बाबला तूं रक्ख्या हिक्क नाल ला सतख़ैरां साडियां मंगियां जद झुल्ली तत्ती वा अज्ज कीकन वेहड़्यों टुरिया किवें लाहे नी मेरे चा मेरे गहने नील हत्थ पैर …

Read more

गीत-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

गीत-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz किधरे ना पैंदियां दस्सां वे परदेसिया तेरियां काग उडावां शगन मनावां वगदी वा दे तरले पावां तेरी याद आवे ते रोवां तेरा ज़िकर करां तां हस्सां किधरे ना पैंदियां दस्सां वे परदेसिया तेरियां दर्द ना दस्सां घुलदी जावां राज़ ना खोल्हां, मुकदी जावां …

Read more

लंमी रात सी दर्द फ़िराकवाली-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

लंमी रात सी दर्द फ़िराकवाली-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz लंमी रात सी दर्द फ़िराकवाली तेरे कौल ते असां वसाह करके कौड़ा घुट्ट कीती मिट्ठड़े यार मेरे मिट्ठड़े यार मेरे जानी यार मेरे तेरे कौल ते असां वसाह करके झांजरां वांग, ज़ंजीरां झणकाईआं ने कदी पैरीं बेड़ीआं चाईआं ने …

Read more

इक तराना पंजाबी किसान दे लई-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

इक तराना पंजाबी किसान दे लई-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz उट्ठ उतांह नूं जट्टा मर्दा क्युं जानैं भुल्या, तूं जग दा अन्नदाता तेरी बांदी धरती माता तूं जग दा पालन हारा ते मर्दा क्युं जानैं उट्ठ उतांह नूं जट्टा मर्दा क्युं जानैं जरनल, करनल, सूबेदार डिपटी, डी सी, …

Read more

रब्बा सच्चिआ-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

रब्बा सच्चिआ-पंजाबी कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz रब्बा सच्चिआ तूं ते आख्या सी जाह ओए बन्दिया जग दा शाह हैं तूं साडियां नेहमतां तेरियां दौलतां ने साडा नैब ते आलीजाह हैं तूं एस लारे ते टोर कद पुच्छ्या ई कीह एस निमाने ते बीतियां ने कदी सार वी लई …

Read more

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz Part 3

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz Part 3 तमाम शब दिले-वहशी तलाश करता है हर इक सदा में तिरे हर्फ़े-लुत्फ़ का आहंग हर इक सुबह मिलाती है बार-बार नज़र तिरे दहन से हर इक लाला-ओ-गुलाब का रंग मार्च, १९५६ —————————————- तुम्हारे हुस्न से रहती है हमकिनार नज़र तुम्हारी याद से दिल …

Read more

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz Part 2

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz Part 2 ———————————- दिल रहीने-ग़मे-जहां है आज हर नफ़स तशना-ए-फ़ुग़ां है आज सख़्त वीरां है महफ़िले-हसती ऐ ग़मे-दोस्त तू कहां है आज मार्च, १९३० ———————————- रात यूं दिल में तिरी खोई हुई याद आई जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाये जैसे सहरायों में …

Read more

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz part 1

अश्यार-ओ-क़तात-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz part 1 दूर जाकर करीब हो जितने हमसे कब तुम करीब थे इतने अब न आओगे तुम न जाओगे वस्लो-हज़रां बहम हुए कितने बेरूत, १९७८ —————————- लब बन्द हैं साकी, मिरी आंखों को पिला दे वो जाम जो मिन्नतकशे-सहबा नहीं होता १९२८ —————————- इक सुख़न …

Read more