ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui

ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui तैरने दो मुझे-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui जीतने की ज़िद-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui गुमनाम है…-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir …

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तैरने दो मुझे-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui

तैरने दो मुझे-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui   तैरने दो मुझे डूबने के भय से निजात पाऊँगा हाथ-पैर चलाकर तैरना सीख जाऊँगा।। लड़ने दो मुझे हार के की दहशत से जीत जाऊँगा गिरकर उठने से लड़ना सीख जाऊँगा।। खेलने दो मुझे डर के काल को बेहाल कर …

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जीतने की ज़िद-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui

जीतने की ज़िद-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui   ऐ शिकारी! याद रख तरकशों के तीर को तीर से तक़रार अक्सर रोक देती जीत को।। गिर गया तो क्या हुआ उठना यदि मालूम है हार अक्सर जंग में जीत की एक चाल है।। ठहरने की ख्वाहिशें गिरने की …

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गुमनाम है…-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui

गुमनाम है…-ज़हीर अली सिद्दीक़ी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zahir Ali Siddiqui   सभ्यता के मार्ग में विलुप्त कितने हो गए शिष्टता तो आज भी अदृश्य होकर रह गयी।। दूर जाता मनू भी अनुरोध करता रह गया सभ्यता और सभ्य का मिलाप होना रह गया।। इंसानियत की राह से इंसान ही भटका हुआ …

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