कोरोना- क्यों रोना ?-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

कोरोना- क्यों रोना ?-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   यद्यपि प्रचंड महाविनाशकारी है कोरोना । फिर भी क्यों लगता है?कुछ तो शुभ है होना । बम बंदूक तलवार और त्रिशूल । धर्मों के नाम पर बबूल ही बबूल। भूल चुके थे हम मानवता के उसूल। चारों तरफ बह …

Read more

स्त्री विमर्श-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

स्त्री विमर्श-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   विदेह की पुत्री, परिणीता भुवन सुन्दरी, वन में थी, स्वयंवर के हार की टीस अब भी राजाओं के मन में थी, पग पग पर बुराइयाँ ,बाधाएं कलुष कुरीतियां प्रचलन में थीं पर वह अनुगामिनी राम की पति के संकल्पों पर अडिग …

Read more

प्रमाद द्वन्द-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

प्रमाद द्वन्द-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   अभीप्साओं के द्वन्द्व से विरत होकर व्यस्त होने के प्रलापों से निकलकर वेदनाओं पर कभी जब गीत लिखूँगा तब तुम्हें सूचित करूँगा! —(1) अभी व्यसनों के समय में क्यों करूं ये व्यर्थ बातें, मत्त जीवन, मदित तनमन खेलती हैं रजत रातें। …

Read more

प्रीत सदा ही गाता हूँ…-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

प्रीत सदा ही गाता हूँ…-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   मैं गीत कभी ही लिखता हूं, पर प्रीत सदा ही लिखता हूँ, दर्दों को भी अजमाता हूं, पर प्रीत सदा ही गाता हूँ। ताने मारो या पुचकारो, चाहे जितना भी धिक्कारो, जो देता स्पर्श प्रेम का, उसका ही …

Read more

कैद है अहंकार मेरा…-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

कैद है अहंकार मेरा…-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   (विचारों का प्रवाह मंद सा हो गया है, लिखने की निरंतरता थम सी गयी है। परिवेश वही है, सामान्यतः सब कुछ वही है तो फिर संवेदनायें क्यों निष्क्रिय हैं; भावशून्यता क्यों बनी हुई है? द्वन्द्व हावी हैं। व्यस्तताओं का …

Read more

यादें बचपन की-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey 

यादें बचपन की-कविता -संजीव कुमार दुबे -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanjeev Kumar Dubey   (अपना बचपन किसे याद नहीं आता? मुझे भी बहुत याद आता है।उम्र के वानप्रस्थी कालखंड में उन अल्हड़ दिनों की मधुर स्मृतियाँ हर व्यक्ति को ताजगी का अहसास कराती हैं और वर्तमान के आडंबर भरे कार्यकलापों को सुधारने के लिये …

Read more