छाँव वही धूप वही, दुल्हिन का रूप वही-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

छाँव वही धूप वही, दुल्हिन का रूप वही-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank छाँव वही धूप वही दुल्हिन का रूप वही उपवन मुस्काया है! नया-गीत आया है!! सुबह वही शाम वही श्याम और राम वही रबड़-छन्द भाया है! नया-गीत आया है!! बिम्ब नये व्यथा वही पात्र नये कथा वही माथा …

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वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन! अन्धा है कानून हमारा, न्याय करेगा कौन? लुटी लाज है मिटी शर्म है, अनाचार में लिप्त कर्म है, बन्दीघर में बन्द धर्म है, रिश्वत का बाजार गर्म है, हुई …

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वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank वानर बैठा है कुर्सी पर, हुई बिल्लियाँ मौन! अन्धा है कानून हमारा, न्याय करेगा कौन? लुटी लाज है मिटी शर्म है, अनाचार में लिप्त कर्म है, बन्दीघर में बन्द धर्म है, रिश्वत का बाजार गर्म है, हुई …

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ज़िन्दगी हमारे लिए आज भार हो गई-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

ज़िन्दगी हमारे लिए आज भार हो गई-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank ज़िन्दगी हमारे, लिए आज भार हो गई! मनुजता की चूनरी, तो तार-तार हो गई!! हादसे सबल हुए हैं गाँव-गली-राह में, खून से सनी हुई छुरी छिपी हैं बाँह में, मौत ज़िन्दगी की, रेल में सवार हो गई! मनुजता …

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अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे सदा बढ़े हैं, सदा बढ़ेंगे! हम तो दरिया का पानी है रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!! कितनों ने सन्देशे भेजे कितनों से भिजवाए गए कितनों ने आकर धमकाया कितनों ने जमकर फुसलाया हम भारत के …

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विजयादशमी-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank 

विजयादशमी-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार। जीत हो गयी सत्य की, झूठ गया है हार।। रावण के जब बढ़ गये, भू पर अत्याचार। लंका में जाकर उसे, दिया राम ने मार।। विजयादशमी ने दिया, हम सबको उपहार। अच्छाई के सामने, गयी बुराई हार।। मनसा-वाता-कर्मणा, …

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