रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem

रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem सोरठा -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sortha मदनाष्टक -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Madnashtak संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 5 संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 4 संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 3 संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem …

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सोरठा -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sortha

सोरठा -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sortha ओछे को सतसंग, रहिमन तजहु अँगार ज्‍यों। तातो जारै अंग, सीरो पै करो लगै॥ रहिमन कीन्‍हीं प्रीति, साहब को भावै नहीं। जिनके अगनित मीत, हमैं गीरबन को गनै॥ रहिमन जग की रीति, मैं देख्‍यो रस ऊख में। ताहू में परतीति, जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं॥ जाके सिर …

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मदनाष्टक -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Madnashtak

मदनाष्टक -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Madnashtak शरद-निशि निशीथे चाँद की रोशनाई । सघन वन निकुंजे वंशी बजाई ।। रति, पति, सुत, निद्रा, साइयाँ छोड़ भागी । मदन-शिरसि भूय: क्‍या बला आन लागी ।।1।। कलित ललित माला या जवाहिर जड़ा था । चपल चखन वाला चाँदनी में खड़ा था ।। कटि-तट बिच मेला पीत …

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संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 5

संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 5 श्लोक अच्‍युतच्‍चरणातरंगिणि शशिशेखर-मौलि-मालतीमाले । मम तनु-वितरण-समये हरता देया न में हरिता ।।7।। (अर्थ) विष्‍णु भगवान के चरणों से प्रवाहित होने वाली और महादेव जी के मस्‍तक पर मालती माला के समान शोभित होनेवाली हे गंगे, मुझे तारने के समय महादेव बनाना न कि विष्‍णु । …

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संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 4

संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 4 श्लोक दृष्‍टा तत्र विचित्रिता तरुलता, मैं था गया बाग में । काचितत्र कुरंगशावनयना, गुल तोड़ती थी खड़ी ।। उन्‍मद्भ्रूधनुषा कटाक्षविशि;, घायल किया था मुझे । तत्‍सीदामि सदैव मोहजलधौ, हे दिल गुजारो शुकर ।।5।। (अर्थ) विचित्र वृक्षलता को देखने के लिए मैं बाग में गया था …

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संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 3

संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 3 श्लोक अहल्‍या पाषाणःप्रकृतियशुरासीत् कपिचमू – र्गुहो भूच्‍चांडा‍लस्त्रितयमपि नीतं निजपदम् ।। अहं चित्‍तेनाश्‍मा पशुरपि तवार्चादिकरणे । क्रियाभिश्‍चांडालो रघुवर नमामुद्धरसि किम् ।।3।। (अर्थ) अहल्‍या जी पत्‍थर थीं, बंदरों का समूह पशु था और निषाद चांडाल था पर तीनों को आप ने अपने पद में शरण दी । …

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संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 2

संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 2 श्लोक कबहुँक खग मृग मीन कबहुँ मर्कटतनु धरि कै । कबहुँक सुर-नर-असुर-नाग-मय आकृति करि कै ।। नटवत् लख चौरासि स्‍वॉंग धरि धरि मैं आयो । हे त्रिभुवन नाथ! रीझ को कछू न पायो ।। जो हो प्रसन्‍न तो देहु अब मुकति दान माँगहु बिहँस । …

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संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 1

संस्कृत श्लोक-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sanskrit Shlok 1 श्लोक आनीता नटवन्‍मया तब पुर; श्रीकृष्‍ण! या भूमिका । व्‍योमाकाशखखांबराब्धिवसवस्‍त्‍वत्‍प्रीतयेऽद्यावधि ।। प्रीतस्‍त्‍वं यदि चेन्निरीक्ष्‍य भगवन् स्‍वप्रार्थित देहि मे । नोचेद् ब्रूहि कदापि मानय पुरस्‍त्‍वेतादृशीं भूमिकाम् ।।1।। (अर्थ) हे श्रीकृष्‍ण! आपके प्रीत्‍यर्थ आज तक मैं नट की चाल पर आपके सामने लाया जाने से चैरासी लाख …

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श्रंगार सोरठा-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shringar-Sortha

श्रंगार सोरठा-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shringar-Sortha गई आगि उर लाय, आगि लेन आई जो तिय । लागी नाहिं, बुझाय, भभकि भभकि बरि-बरि उठै ।।1।। तुरुक गुरुक भरिपूर, डूबि डूबि सुरगुरु उठै । चातक चातक दूरि, देह दहे बिन देह को ।।2।। दीपक हिए छिपाय, नबल वधू घर ले चली । कर विहीन पछिताय, …

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दोहे -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahim Dohe Part 7

दोहे -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahim Dohe Part 7 सदा नगारा कूच का, बाजत आठों जाम। रहिमन या जग आइ कै, को करि रहा मुकाम॥ सब को सब कोऊ करै, कै सलाम कै राम। हित रहीम तब जानिए, जब कछु अटकै काम॥ सबै कहावै लसकरी, सब लसकर कहँ जाय। रहिमन सेल्‍ह जोई सहै, …

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