भ्रमर गीत-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

भ्रमर गीत-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji उधो, मन न भए दस बीस। एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥ इंदरी सिथिल भईं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस। स्वासा अटकिरही आसा लगि, जीवहिं कोटि बरीस॥ तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस। …

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उद्धव-गोपी संवाद-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

उद्धव-गोपी संवाद-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji सुनौ गोपी हरि कौ संदेस करि समाधि अंतर गति ध्यावहु, यह उनकौ उपदेस ॥ वै अविगत अविनासी पूरन, सब-घट रहे समाइ । तत्व ज्ञान बिनु मुक्ति नहीं है, बेद पुराननि गाइ ॥ सगुन रूप तजि निरगुन ध्यावहु, इस चित इक …

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मध्यम मान-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

मध्यम मान-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji स्याम दिया सन्मुख नहिं जोवत । कबहुँ नैन की कोर निहारत, कबहुँ बदन पुनि गोवत । मन मन हँसत त्रसत तनु परगट, सुनत भावती बात । खंडित बचन सुनत प्यारी के पुलक होत सब गात । यह सुख सूरदास कछु जानै, …

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उद्धव हृदय परिवर्तन तथा गोपी सन्देश-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

उद्धव हृदय परिवर्तन तथा गोपी सन्देश-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji मैं ब्रजबासिन की बलिहारी । जिनके संग सदा क्रीड़त हैं, श्री गोबरधन-धारी ॥ किनहूँ कैं घर माखन चोरत, किनहूँ कैं संग दानी । किनहूँ कैं सँग धेनु चरावत, हरि की अकथ कहानी ॥ किनहूँ कैं सँग …

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बड़ी मान लीला-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

बड़ी मान लीला-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji राधेहिं स्याम देखी आइ । महा मान दृढ़ाइ बैठी, चितै काँपैं जाइ ॥ रिसहिं रिस भई मगन सुंदरि, स्याम अति अकुलात । चकित ह्वै जकि रहे ठाढ़े, कहि न आवै बात ॥ देखि व्याकुल नंद-नंदन, रूखी करति विचार । सूर …

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श्रीकृष्ण वचन-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

श्रीकृष्ण वचन-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji सुनि ऊधौ मोहिं नैकू न बिसरत वै ब्रजवासी लोग । तुम उनकौ कछु भली न कीन्ही, निसि दिनदियौ वियोग ॥ जउ वसुदेव-देवकी मथुरा, सकल राज-सुख भोग । तदपि मनहिं बसत बंसी बट, बन जमुना संजोग ॥ वै उत रहत प्रेम …

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वसंतोत्सव-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

वसंतोत्सव-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji झूलत स्याम स्यामा संग । निरखि दंपति अंग सोभा, लजत कोटि अनंग । मंद त्रिविध समीर सीतल, अंग अंग सुगंध । मचत उड़त सुबास सँग, मन रहे मधुकर बंध ॥ तैसिये जमुना सुभग जहँ, रच्यौ रंग हिंडोल । तैसियै बृज-बदू बनि, हरि …

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पूर्ण परिवर्तन तथा यशोदा संदेश-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

पूर्ण परिवर्तन तथा यशोदा संदेश-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji अब अति चकितवंत मन मेरौ । आयौ हो निरगुन, उपदेसन भयौ सगुन कौ चेरौ ॥ जो मैं ज्ञान कह्यौगीता कौ, तुमहिं न परस्यौ नैरो । अति अज्ञान कछु कहत न आवै, दूत भयौ हरि केरौ ॥ निज …

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अक्रूर ब्रज आगमन-मथुरा गमन-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

अक्रूर ब्रज आगमन-मथुरा गमन-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji अक्रूर ब्रज आगमन कंस नृपति अक्रूर बुलाये । बैठि इकंत मंत्र दृढ़ कीन्हौ, दोऊ बंधु मँगाये ॥ कहूँ मल्ल, कहुँ गज दै राखे, कहूँ धनुष, कहुँ वीर । नंद महर के बालक मेरैं करषत रहत सरीर ॥ उनहिं बुलाइ …

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उद्धव मथुरा प्रत्यागमन तथा कृष्ण उद्धव संवाद-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji

उद्धव मथुरा प्रत्यागमन तथा कृष्ण उद्धव संवाद-उद्धव संदेश-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji ऊधौ जब ब्रज पहुँचे जाइ । तबकी कथा कृपा करि कहियै, हम सुनिहैं मन लाइ ॥ बाबा नंद जसोदा मैया, मिले कौन हित आइ ? कबहूँ सुरसति करत माखन की, किधौं रहे बिसराइ ॥ गोप …

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