बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman चौपइया छंद (राखी)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman चंचरीक छंद (बाल कृष्ण)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman ग्रंथि छंद (देश का ऊँचा सदा)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | …

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चौपइया छंद (राखी)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

चौपइया छंद (राखी)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   पर्वों में न्यारी, राखी प्यारी, सावन बीतत आई। करके तैयारी, बहन दुलारी, घर आँगन महकाई।। पकवान पकाए, फूल सजाए, भेंट अनेकों लाई। वीरा जब आया, वो बँधवाया, राखी थाल सजाई।। मन मोद मनाए, बलि बलि जाए, है उमंग नव …

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चंचरीक छंद (बाल कृष्ण)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

चंचरीक छंद (बाल कृष्ण)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   घुटरूवन चलत श्याम, कोटिकहूँ लजत काम, सब निरखत नयन थाम, शोभा अति प्यारी। आँगन फैला विशाल, मोहन करते धमाल, झाँझन की देत ताल, दृश्य मनोहारी।। लाल देख मगन मात, यशुमति बस हँसत जात, रोमांचित पूर्ण गात, पुलकित महतारी। …

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ग्रंथि छंद (देश का ऊँचा सदा)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

ग्रंथि छंद (देश का ऊँचा सदा)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   “गीतिका विधा” देश का ऊँचा सदा, परचम रखें, विश्व भर में देश-छवि, रवि सम रखें। मातृ-भू सर्वोच्च है, ये भाव रख, देश-हित में प्राण दें, दमखम रखें। विश्व-गुरु भारत रहा, बन कर कभी, देश फिर जग-गुरु …

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गीतिका छंद (चातक पक्षी)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

गीतिका छंद (चातक पक्षी)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   मास सावन की छटा सारी दिशा में छा गयी। मेघ छाये हैं गगन में यह धरा हर्षित भयी।। देख मेघों को सभी चातक विहग उल्लास में। बूँद पाने स्वाति की पक्षी हृदय हैं आस में।। पूर्ण दिन किल्लोल …

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कुण्डलिया छंद (मोबायल)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

कुण्डलिया छंद (मोबायल)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   मोबायल से मिट गये, बड़ों बड़ों के खेल। नौकर, सेठ, मुनीमजी, इसके आगे फेल। इसके आगे फेल, काम झट से निपटाता। मुख को लखते लोग, मार बाजी ये जाता। निकट समस्या देख, करो नम्बर को डॉयल। सौ झंझट इक …

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कुंडल छंद (ताँडव नृत्य)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

कुंडल छंद (ताँडव नृत्य)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   नर्तत त्रिपुरारि नाथ, रौद्र रूप धारे। डगमग कैलाश आज, काँप रहे सारे।। बाघम्बर को लपेट, प्रलय-नेत्र खोले। डमरू का कर निनाद, शिव शंकर डोले।। लपटों सी लपक रहीं, ज्वाल सम जटाएँ। वक्र व्याल कंठ हार, जीभ लपलपाएँ।। ठाडे …

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32 मात्रिक छंद (हम और तुम)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

32 मात्रिक छंद (हम और तुम)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   बम बम के हम उद्घोषों से, धरती गगन नाद से भरते। बोल ‘बोल बम’ के पावन सुर, आह्वाहन भोले का करते।। पर तुम हृदयहीन बन कर के, मानवता को रोज लजाते। बम के घृणित धमाके कर …

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कामरूप छंद (गरीबों की दुनिया)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

कामरूप छंद (गरीबों की दुनिया)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   कैसी गरीबी, बदनसीबी, दिन सके नहिं काट। हालात माली, पेट खाली, वस्त्र बस हैं टाट।। अति छिन्न कुटिया, भग्न खटिया, सार इसमें काम। है भूमि बिस्तर, छत्त अंबर, जी रहे अविराम।। बच्चे अशिक्षित, घोर शोषित, सकल सुविधा …

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उड़ियाना छंद (विरह)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

उड़ियाना छंद (विरह)-मात्रिक छंदों की कविताएँ-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   क्यों री तू थमत नहीं, विरह की मथनिया। मथत रही बार बार, हॄदय की मटकिया।। सपने में नैन मिला, हँसत है सजनिया। छलकावत जाय रही, नेह की गगरिया।। गरज गरज बरस रही, श्यामली बदरिया। झनकारै हृदय-तार, कड़क के बिजुरिया।। …

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