मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun युग-युरुष (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun  युग-पुरुष-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun  थाकतो उद्यत (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता …

Read more

युग-युरुष (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

युग-युरुष (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun भ्रस्टो भ्रस्टो महाभ्रस्टो कष्टो कष्टो महाकष्टो पष्टो पष्टो महापष्टो भ्रस्टो भ्रस्टो महाभ्रस्टो महामिलन-महामलिन गहन पंक-लिप्त नलिन लघु प्रकाश गुरू तिमिर गलित पंगु अन्ध वधिर शर शयन हिम शिविर युग पुरुष द्विज-दिविर लघु प्रकाश गुरू तिमिर (27.9.78)

युग-पुरुष-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

युग-पुरुष-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun भ्रस्ट भ्रस्ट महाभ्रस्ट कष्ट कष्ट महाकष्ट स्पष्ट स्पष्ट महास्पष्ट भ्रस्ट भ्रस्ट महाभ्रस्ट महामिलन-महामलिन गहन पंकलिप्त नलिन लघु प्रकाश गुरू तिमिर गलित पंगु अन्ध वधिर शर शयन हिम शिविर युग पुरुष द्विज दिविर लघु प्रकाश गुरू तिमिर

थाकतो उद्यत (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

थाकतो उद्यत (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun प्रतिपल थाकतो उद्यत बन्धु सुलभ कोला कुलिर जन्यो प्रतिपल थाकतो उद्यत धनुषेर प्रत्यंचाए बोसिए शिलीमुख शत्रुर सन्धाने प्रतिपल थाकतो उद्यत सद्गुरु निर्देशित यौगिक अनुष्ठानेर जन्यो सेइ जे आमार एइ बाहु युगल सम्प्रति एमनि झुलछे अनेक चेष्टा कोरे ओ …

Read more

रहता उद्यत-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

रहता उद्यत-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun रहता था उद्यत प्रतिपल भर लेने को मित्र सुलभ बाहु-पाश में रहता था उद्यत प्रतिपल धनुष की प्रत्यंचा पर साधे तीर शत्रु के सन्धान में रहता था उद्यत प्रतिपल सद्गुरु निदेशित यौगिक अनुष्ठान की खातिर वही मेरे ये बाहु-युगल सम्प्रति …

Read more

दीपितो सीमन्‍त (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

दीपितो सीमन्‍त (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun एखन तो कोनो पात्ता नेइ तोमार ऐइ दीपितो सीमन्तेर सन्धान पावो कि कोरे जाय गाटिर कोथाए ये प्रथम प्रथम सिन्दूर लागिए छिलाम तोमार सेइ कुंतल कपाल पुरातत्वेर स्मृतिते परिणत सम्प्रति अथच एइ चेतना पटले ओ ज्वल-ज्वल करिते छे …

Read more

दीप्त सीमन्त-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

दीप्त सीमन्त-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun अब तो कुछ पता नहीं तुम्हारी उस दीप्त माँग का कैसे करूँ उस जगह का सन्धान जहाँ पहले-पहल लगाया था सिन्दूर तुम्हारा वह कुंतलित भाल अब तो हो रहा मात्र पुरातत्त्व-स्मृति जबकि इस चेतना पटल पर अब भी है झिलमिल …

Read more

भूतुड़े तेतुलेर गाछ (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

भूतुड़े तेतुलेर गाछ (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun से ये एई भूतुड़े गाछ तेतुलरे से ये एई वृद्ध प्रपितामह-वृद्ध प्रमातामह वनस्पति देर ‘डेढ़ श सवा श’ बछरेर आयु हबे ततो धिक ना कि ! काल बोशेखिर प्रल्यंकर ताण्डवे हये गैलो धराशायी सबेमात्र आहा, जीवनान्ते कि …

Read more

भुतहा पेड़ इमली का-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

भुतहा पेड़ इमली का-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun यह वही भुतहा पेड़ इमली का वृद्ध प्रपितामह-वृद्ध प्रमातामह वनस्पतियों का डेढ़ सौ-सवा सौ साल की अवस्था तो होगी ही कहीं उससे अधिक ही हो ! वैशाखी-तूफान के प्रलयंकारी ताण्डव से धराशायी हो गया अभी-अभी आह, कैसा मर्मान्तक …

Read more

आमि मिलिटारिर बुड़ो घोड़ा (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun 

आमि मिलिटारिर बुड़ो घोड़ा (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun आमि मिलिटारिर बुड़ो घोड़ा आमाके ओरा कोरबे निलाम कोनो चतुर ताँगाबाला निये जाबे आमाके बोसिए देबे चोखेर धारे रंगीन खोलश बलते धाकबे : सामने चल बेटा सामने चल सामने…. (27.9.78)