घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram  श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram  कान्हा पिचकारी मत मार-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi …

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कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे, मणि फणि वारे भोर फबन लौँ ऊटे हैँ । बासे हैँ फुलेल ते नरम मखतूल ऎसे, दीरघ दराज ब्याल ब्यालिन लौं झूठे हैँ । घासीराम चारु चौंर जमुना सिवार बोरोँ, ऎसी स्याम्ताई पै गगन घन लूटे हैँ …

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 श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है। सिंगार बसंती है …हो सिंगार बसंती है। मोर मुकुट की लटक बसंती, चन्द्र कला की चटक बसंती, मुख मुरली की मटक बंसती, सिर पे पेंच श्रवण कुंडल छबि लाल बसंती है। …

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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram घेर लई सब गली रंगीली, छाय रही छबि छटा छबीली, जिन ढोल मृदंग बजाये हैं बंसी की घनघोर। फाग खेलन…॥१॥ जुर मिल के सब सखियाँ आई, उमड घटा अंबर में छाई, जिन अबीर गुलाल उडाये हैं, मारत भर भर …

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 कान्हा पिचकारी मत मार-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

कान्हा पिचकारी मत मार-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram कान्हा पिचकारी मत मार मेरे घर सास लडेगी रे। सास लडेगी रे मेरे घर ननद लडेगी रे। सास डुकरिया मेरी बडी खोटी, गारी दे न देगी मोहे रोटी, दोरानी जेठानी मेरी जनम की बेरन, सुबहा करेगी रे। कान्हा पिचकारी मत मार… ॥1॥ जा …

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रंग में रंग दई बांह पकर के-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram

रंग में रंग दई बांह पकर के-घासीराम-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghasiram रंग में रंग दई बांह पकर के लाजन मर गई होरी में इकली भाज दई होरी में हुरमत लाज गई होरी में चटक दार चोली में सरवट पर गई होरी में चूनर रंग बोरी होरी में पिचकारी मारी होरी में …

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