निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते ॥ सागरं संसारसि गुर परसादी तरहि के ॥ करण कारण समरथु है कहु नानक बीचारि ॥ कारणु करते वसि है जिनि कल रखी धारि ॥2॥148॥

सलोक -गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji 2

सलोक -गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji 2 नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु ॥ पाणी अंदरि लीक जिउ तिस दा थाउ न थेहु ॥4॥474॥ बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु बधा चटी जो भरे ना गुणु ना …

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अगी पाला कि करे सूरज केही राति-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

अगी पाला कि करे सूरज केही राति-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji अगी पाला कि करे सूरज केही राति ॥ चंद अनेरा कि करे पउण पाणी किआ जाति ॥ धरती चीजी कि करे जिसु विचि सभु किछु होइ ॥ नानक ता पति जाणीऐ जा पति रखै …

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दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ ॥ तिन कउ किआ उपदेसीऐ जिन गुरु नानक देउ ॥1॥150॥

जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार ॥ एते चानण होदिआं गुर बिनु घोर अंधार ॥2॥463॥

इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु ॥ इकन्हा हुकमि समाइ लए इकन्हा हुकमे करे विणासु ॥ इकन्हा भाणै कढि लए इकन्हा माइआ विचि निवासु ॥ एव भि …

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पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु ॥ दिवसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु ॥ चंगिआईआ बुरिआईआ वाचै धरमु हदूरि ॥ करमी आपो आपणी के नेड़ै के दूरि ॥ जिनी नामु धिआइआ …

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 हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि ॥ हउमै एई बंधना फिरि फिरि जोनी पाहि ॥ हउमै किथहु ऊपजै कितु संजमि इह जाइ ॥ हउमै एहो हुकमु है पइऐ किरति फिराहि ॥ हउमै दीरघ …

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जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ ॥ ध्रिगु जीवणु संसारि ता कै पाछै जीवणा ॥2॥83॥

जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह ॥ खत्री सबदं सूर सबदं सूद्र सबदं परा क्रितह ॥ सरब सबदं एक सबदं जे को जाणै भेउ ॥ नानकु ता का दासु है सोई निरंजन देउ …

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