निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji
निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते ॥ सागरं संसारसि गुर परसादी तरहि के ॥ करण कारण समरथु है कहु नानक बीचारि ॥ कारणु करते वसि है जिनि कल रखी धारि ॥2॥148॥