गहने (ओडवेगळु)-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

गहने (ओडवेगळु)-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa सोने के गहने क्योंकर, माँ ? तकलीफ देते हैं, नहीं चाहिए, माँ ! रंगीन कपड़े क्योंकर, माँ ? मिट्टी में खेलने नहीं देते, माँ ! ताकि दिखाई दो सुंदर, बहुत ही सुंदर-यों कहती हो सुंदर लगे किसको, कहो माँ ? देखनेवालों …

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कवि शैल-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

कवि शैल-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa मित्रों, वाणी यहाँ बनती है अछूत, शान्त रहिए। मौन ही महान है यहाँ, इस शाम में इस कविशैल में आच्छादित शाम के अन्धेरे में ध्यानमग्न योगी बना है महा सह्यगिरि। बादलों की लहरों में मुस्कुराता दूज का चाँद। गगनदेवी के द्वारा …

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मेघ-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

मेघ-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa परम पुरुष की कौन सी महिमा का ढिंढोरा पीटते हुए घूम रहे हो, हे मेघ? किस परमानंद निधि से उठकर जा रहे हो कहाँ? भाव-बाग के भक्ति बीज को हर्ष जल बरसाते हुए देवदेव की दिव्यकांति को हृदयस्थल में अपने बिखेर रहे …

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उषा-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

उषा-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa पूरब की दिशा में खेलती-खेलती, इठलाती बलखाती, उभर आती है! ऊपर उठती, धीरे धीरे, देख, उषा उभर आती है! अंधी रात का काला बिछौना खोलती है धरती धीरे-धीरे, नये काननों का हरे परिधान पहने सोह रहे हैं हिममणिगण, ठंडी हवा विलसती है …

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पुष्प भगवान-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

पुष्प भगवान-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa दर्शन है यह; यह साक्षात्कार है। सिर्फ देखने की चीज नहीं है इस अनुभव का कोई और नाम है नहीं! यह सिर्फ़ फूल के विकसित होने की सामान्य प्राकृतिक घटना है नहीं! भावपूर्ण मन से देखो भव्यरूप इस फूल का नारा …

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क्यों ?-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

क्यों ?-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa पानी क्यों बहता है? बहता है! सागर से मिलने के लिए है न? मिलता है! लेकिन क्या? सागर से मिलने के लिए बहता नहीं है पानी; बहते बहते, सागर से मिल जाता है और कुछ नहीं! आग क्यों जलती है? जलती …

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भगवान ने हस्ताक्षर किये-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

भगवान ने हस्ताक्षर किये-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa   भगवान ने हस्ताक्षर किये; देखा कवि ने उसे, होकर रस-विभोर। विशाल आकाश है बना पृष्ठभूमि शोभा दे रही हैं ऊँचे पर्वतों की श्रेणियाँ। घने जंगलों की सीमाओं के बीच, विराज रही हैं तुंगा जल सुन्दरी। भगवान ने हस्ताक्षर …

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कोंपल-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

कोंपल-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa ओह! रुककर देखो तो यहाँ इस वृक्ष की देहश्री में इधर, खिल रहा है स्वर्ग आप ही। उर्वशी तिलोत्तमा आदि अप्सराएँ नाच रही हैं यहाँ इस वृक्ष की कोंपलों की इस इंद्र सभा में। पाँव हैं जकड़े हुए यहाँ भूलकर चलना अपना, …

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पेड़ की छाया-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

पेड़ की छाया-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa लो फिर! उस पेड़ की छाया! रोज की तरह पड़ी मर रही है वहाँ! इस नियम का शासन मुझे पीड़ित कर रहा है पूर्वजन्म के महा अभिशाप के रूप में, नियमों को निगल कर, पचाकर, करने उल्लंघन उनका व्याकुलता से …

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बूंद ओस की-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa

बूंद ओस की-कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kuppali Venkatappa Puttappa   स्वर्ग की ओर खेलने शिकार, निकला मैं तड़के ही, भूखे महाव्याघ्र जैसे, सौंदर्य-धेनु के हृदय का खून चूसने की आतुरता से, पर्वतीय प्रदेश की उस घाटी के हरियाली-भरे घास के मैदान में, जहाँ थीं झाड़ियाँ! पिछली रात को हुई …

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