उषा की लाली-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
उषा की लाली-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun उषा की लाली में अभी से गए निखर हिमगिरि के कनक शिखर आगे बढ़ा शिशु रवि बदली छवि, बदली छवि देखता रह गया अपलक कवि डर था, प्रतिपल अपरूप यह जादुई आभा जाए ना बिखर, जाए ना बिखर, उषा की लाली में भले हो …