विलयन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta
विलयन-कविता-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta शब्द मुझ तक आया और बोला, —मुझे अपनी भाषा नहीं स्वत्व बनाओ। और वह अपने भाषा-व्यक्तित्व पर से अर्थ उतारने लगा। जैसे अर्थ केंचुल था। मैं नहीं समझ पा रहा था, कि क्यों वृक्ष, सहसा अपनी छालें उतारने लगे थे। क्यों नदी, अपनी …