विरहणी-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman

विरहणी-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Basudev Agarwal Naman   (नील छंद) वो मन-भावन प्रीत लगा कर छोड़ चले। खावन दौड़त रात भयानक आग जले।। पावन सावन बीत गया अब हाय सखी। आवन की धुन में उन के मन धीर रखी।। वर्षण स्वाति लखै जिमि चातक धीर धरे। त्यों मन व्याकुल साजन आ कब …

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