विरक्ति-शैलेन्द्र चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shailendra Chauhan
विरक्ति-शैलेन्द्र चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shailendra Chauhan कदापि उचित नहीं दिगंत के उच्छिष्ट पर फैलाना पर शमन कर भावनाओं का मनुष्य मन पर प्राप्त कर विजय उड़ भी तो नहीं सकते अबाबीलों के झुंड में ठहरी हुई हवा बेपनाह ताप बहुत सुंदर हैं नीम की हरी-हरी पत्तों भरी ये टहनियाँ अर्थ क्या …