विभक्त व्यक्तित्व ?-अपने सामने -दो-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan
विभक्त व्यक्तित्व ?-अपने सामने -दो-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan (मुक्तिबोध के निधन पर) वह थक कर बैठ गया जिस जगह वह न पहली, न अन्तिम, न नीचे, न ऊपर, न यहाँ, न वहाँ… कभी लगता-एक कदम आगे सफलता। कभी लगता-पाँवों के आसपास जल भरता। सोचता हूँ उससे विदा ले …