विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3

विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3 हरिविमुख-निन्दा अचंभो इन लोगनि कौ आवै । छाँड़े स्याम-नाम-अम्रित फल, माया-विष-फल भावै । निंदत मूढ़ मलय चंदन कौं राख अंग लपटावै । मानसरोवर छाँड़ि हंस तट काग-सरोवर न्हावै । पगतर जरत न जानै मूरख, घर तजि घूर बुझावै …

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विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 2

विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 2   अविद्या-माया बिनती सुनौ दीन की चित्त दै, कैसें तुव गुन गावै ? माय नटी लकुटी कर लीन्हें कोटिक नाच नचावै । दर-दर लोभ लागि लिये डोलति, नाना स्वाँग बनावै । तुम सौं कपट करावति प्रभु जू, मेरी …

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विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 1

विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 1 मंगलाचरण ( राग बिलावल) चरन-कमल बंदौं हरि-राइ । जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अँधे को सब कछु दरसाइ । बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै ,रंक चलै सिर छत्र धराइ । सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तिहिं पाइ ॥1॥ सगुणोपासना …

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विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3

विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3 भावी करी गोपाल की सब होइ । जो अपनौ पुरुषारथ मानत, अति झूठौ है सोइ । साधन, मंत्र, जंत्र, उद्यम, बल, ये सब डारौ धोइ । जो कछु लिखि राखी नँदनंदन, मेटि सकै नहिं कोइ । दुख-सुख, लाभ-अलाभ …

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