विधवा- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

विधवा- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar जीवन के इस शून्य सदन में जलता है यौवन-प्रदीप; हँसता तारा एकान्त गगन में। जीवन के इस शून्य सदन में। पल्लव रहा शुष्क तरु पर हिल, मरु में फूल चमकता झिलमिल, ऊषा की मुस्कान नहीं, यह संध्या विहँस रही उपवन में। जीवन के …

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