विद्युद्गति में-विश्वप्रिया-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
विद्युद्गति में-विश्वप्रिया-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, विद्युद्गति में सुप्त विकलता खोयी-सी बहती है, घन की तड़पन में पुकार-सी कुछ उलझी रहती है; उस प्रवाह से एक कली ही चुन तो लो! देवी, सुन तो लो यह प्रवास-रजनी क्या कहती है- क्षण-भर रुक कर सुन …