विदा-प्यार के सौजन्य से-परिवेश : हम-तुम-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan 

विदा-प्यार के सौजन्य से-परिवेश : हम-तुम-कुँवर नारायण-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kunwar Narayan दो समानान्तर पटरियाँ जो कभी भी मिल न सकतीं। उस नियम की श्रृंखला में बद्ध जिसमें हिल न सकती। ज्यामितिक दो सरल रेखाएँ समय-विस्तार की जो दिल न रखतीं! एक हाहाकार-सी (कब से प्रतीक्षित !) वार्तमानिक ट्रेन का आना …

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