विज्ञापन सुंदरी-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

विज्ञापन सुंदरी-कविता-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun रमा लो मांग में सिन्दूरी छलना… फिर बेटी विज्ञापन लेने निकलना… तुम्हारी चाची को यह गुर कहाँ था मालूम! हाथ न हुए पीले विधि विहित पत्नी किसी की हो न सकीं चौरंगी के पीछे वो जो होटल है और उस होटल का वो जो मुच्छड़ …

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