विचार का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji
विचार का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार, गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। दादू जल में गगन गगन में जल है, पुनि वै गगन निरालं। ब्रह्म जीव इहिं विधि रहै, ऐसा भेद विचारं।2। ज्यों दर्पण में मुख देखिए, …