विकास में ह्रास-भारत-भारती (अतीत खण्ड) -मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Bharat-Bharti( Ateet Khand)
विकास में ह्रास-भारत-भारती (अतीत खण्ड) -मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Bharat-Bharti( Ateet Khand) पर ठीक वैसा ही हमारा यह प्रसिद्ध विकास है- जैसा कि बुझने के प्रथम बढ़ता प्रदीप-प्रकाश है। हो बौद्ध लक्ष्य-भ्रष्ट सहसा घोर नास्तिक ही रहे, सँभले न फिर हम आर्य भी, इस भाँति विषयों में बहे ॥२१६॥ …