विकास-कहें केदार खरी खरी-केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
विकास-कहें केदार खरी खरी-केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal विकास इस दिशा में हुआ है; अब बहुत आदमी बे-सिर पैर का हुआ है पीठ के नीचे धूल पड़ी है पेट पर आसमान खड़ा है हाथ के हल गिर पड़े हैं रचनाकाल: ३१-०१-१९६९