विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar मैं पृथ्वी का बना प्रियंकर-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar  यन्त्रावतार-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar  धोण्ड्या नाई-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar  मेरे मन पत्थर बन-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar  वही, वैसा …

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मैं पृथ्वी का बना प्रियंकर-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

मैं पृथ्वी का बना प्रियंकर-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   दफ़नाकर भगवी कफ़नी को मैं पृथ्वी का बना प्रियंकर; मिट्टी से कर मस्ती मैंने अधर-क्षत आँका अवनी पर! छायी मेरे नव स्पर्श से पृथ्वी के गालों पर लाली; उछल पड़ी उसके उर में से सरसर धानों की हरियाली। साँसें उसकी गर्म …

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यन्त्रावतार-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

यन्त्रावतार-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   आओ हे यन्त्र, आओ! शस्यश्यामला सृष्टि को गले लगा समाजपुरुष ने जो मैथुन किया उस उत्कट सुरत के विज्ञानात्मक दाहक वीर्य से फ़ौलादी जिसका पिण्ड बना वह तुम अवतारी यन्त्र! युगधर्म का संवर्धन करने आओ आओ, क्रान्ति की प्रसववेदनाओं को लेकर आओ इतिहास के गर्भ …

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धोण्ड्या नाई-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

धोण्ड्या नाई-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   कभी कभी मैं कोंकण के अपने गाँव जब जाता हूँ। पुरानी स्मृतियों की ततैया आकर मुझको डस जाती हैं और मुझे धोण्ड्या नाई की बातें मज़े की याद आती हैं। धोण्ड्या नाई – दो पँसेरी धान की खातिर करता हजामत सारे घर की; दादाजी …

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मेरे मन पत्थर बन-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

मेरे मन पत्थर बन-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   यह रास्ता अटल है! अन्न बिना, वस्त्र बिना; ज्ञान बिना, मान बिना। ठिठुराए यह जीव देख मत! आँखें सी ले! मत देख जीना उदास ऐन रात होंगे आभास सीने में रुक जाएगा श्वास भूल इन्हें, दबा उबाल; मेरे मन, पत्थर बन! यह …

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वही, वैसा ही-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

वही, वैसा ही-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   सुबह से रात तक वही, वही! वैसा ही! बन्दरछाप दन्तमंजन; वही चाय, वही रंजन; वे ही गाने, वे ही तराने; वे ही मूर्ख, वे ही सयाने; सुबह से रात तक वही, वही! वैसा ही! भोजनघर भी बदलकर देखे; (जीभ बदलना सम्भव नहीं था!) …

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.कैसा, न जानूँ!-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

.कैसा, न जानूँ!-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   कभी कभी तो मैं तिनके-सा ओछा कभी बढ़ते-बढ़ते आसमाँ समेटूँ कभी विश्व को चूमने बढ़ जाऊँ कभी आप ही को अपने हाथों सरापूँ। कभी माँगूँ सत् तो कभी स्वप्न माँगूँ कभी छोड़ पीछे ज़माने को, दौड़ूँ कभी मैं अमृत की वर्षा कराऊँ मृत्यु …

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सरोज नवानगरवाली-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

सरोज नवानगरवाली-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   मेरे रोज़ के आने-जाने के रस्ते पर पड़ता था सरोज का घर। याद है मुझे वह उसका पुराने घर का लिपा-पुता कमरा, परदा टँगा; जिसमें उसके उस जीवन के अनेक वर्ष बीते। रात में जब गुज़रता मैं उस रस्ते से, रोज़ दिखाई देता दृश्य …

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अभी अभी तो-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

अभी अभी तो-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   नज़र में हिलोर शरारत की अभी तो लगी थी लहराने; होठों पर थे लगे थिरकने अभी अभी तो अल्हड़ गाने; अभी अभी तो शुरू किया था आँचल से खिलवाड़ लाज ने; सीधे सादे भाव निरंकुश; अनजाने थे लगे पिघलने; दाँतों से यों होठ …

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भावय-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar 

भावय-विंदा करंदीकर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Vinda Karandikar   खत्म काम है; उमड़े गाने हैं झड़ी लगाती बरसातें मँडराती तेज हवाएँ बालियाँ धान की लहलह कोंकण के कंगाल कवि तब गया खोजने मन्दिर झटपट हाँ, थी भावय! चेतनता का तूफान उठा; मुख से निकली: सीधी सादी ढोलक की लय- नाचो भावय! नाचो भावय! पोंभुर्ला …

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