हे निशीथ, रुद्ररम्य नर्तक !-निशीथ-उमाशंकर जोशी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umashankar Joshi

हे निशीथ, रुद्ररम्य नर्तक !-निशीथ-उमाशंकर जोशी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umashankar Joshi हे निशीथ, रुद्ररम्य नर्तक ! कंठ में शोभित स्वर्गंगा का हार बजता है कर में झंझा-डमरू घूमता हुआ धूमकेतु है तेरे शीश का पिच्छ-मुकुट तेजस्-मेघों के हैं तेरे दुकूल फहराते दूर, सृष्टिफलक पर, हे भव्य नटराज ! भूगोलार्ध पर …

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