रिश्ते बस रिश्ते होते हैं-कविता-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
रिश्ते बस रिश्ते होते हैं-कविता-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar रिश्ते बस रिश्ते होते हैं कुछ इक पल के कुछ दो पल के कुछ परों से हल्के होते हैं बरसों के तले चलते-चलते भारी-भरकम हो जाते हैं कुछ भारी-भरकम बर्फ़ के-से बरसों के तले गलते-गलते हलके-फुलके हो जाते हैं नाम होते हैं …