तंबीहुल गाफ़िलीन-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
तंबीहुल गाफ़िलीन-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जहां है जब तलक यां सैकड़ों शादीयो-ग़म होंगे। हज़ारों आशिक़े जां बाज़ और लाखों सनम होंगे॥ किनारो-बोस और ऐशो-तरब, भी दम बदम होंगे। मगर जितने यह अपनी सफ़ के हैं यह सब अदम होंगे॥ न यह चुहलें, न यह धूमें, न …