राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori

राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 8 नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 7 नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 6 नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 8

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 8 किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है रौशनी ही रौशनी है हर तरफ़ मेरी आँखों में मुन्नवर कौन है आसमां झुक-झुक के करता है सवाल आपके कद …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 7

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 7 ये सर्द रातें भी बन कर अभी धुआँ उड़ जाएँ ये सर्द रातें भी बन कर अभी धुआँ उड़ जाएँ वह इक लिहाफ़ मैं ओढूँ तो सर्दियाँ उड़ जाएँ ख़ुदा का शुक्र कि मेरा मकाँ सलामत है हैं इतनी तेज़ हवाएँ कि बस्तियाँ …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 6

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 6 चराग़ों को उछाला जा रहा है चराग़ों को उछाला जा रहा है हवा पर रोब डाला जा रहा है न हार अपनी न अपनी जीत होगी मगर सिक्का उछाला जा रहा है वो देखो मय-कदे के रास्ते में कोई अल्लाह-वाला जा रहा है …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 5 तो क्या बारिश भी ज़हरीली हुई है तो क्या बारिश भी ज़हरीली हुई है हमारी फ़स्ल क्यों नीली हुई है ये किसने बाल खोले मौसमों के हवा क्यों इतनी बर्फ़ीली हुई है किसी दिन पूछिये सूरजमुखी से कि रंगत किसलिये पीली हुई है …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4 जितने अपने थे, सब पराए थे जितने अपने थे, सब पराए थे हम हवा को गले लगाए थे जितनी क़समें थीं, सब थीं शर्मिंदा, जितने वादे थे सर झुकाए थे जितने आंसू थे सब थे बेगाने जितने मेहमां थे बिन बुलाए थे सब …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 3

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 3 काम सब ग़ैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं काम सब ग़ैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं और हम कुछ नहीं करते हैं ग़ज़ब करते हैं आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अज़्मत हम चराग़ों का भी उतना ही अदब करते हैं …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 1

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 1 पाँव से आसमान लिपटा है पाँव से आसमान लिपटा है रास्तों से मकान लिपटा है रौशनी है तेरे ख़यालों की मुझसे रेशम का थान लिपटा है कर गये सब किनारा कश्ती से सिर्फ़ इक बादवन लिपटा है दे तवानाईयां मेरे माबूद ! जिस्म …

Read more

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 2

नाराज़ -राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 2 उठी निगाह तो अपने ही रू-ब-रू हम थे उठी निगाह तो अपने ही रू-ब-रू हम थे ज़मीन आईना-ख़ाना थी चार-सू हम थे दिनों के बाद अचानक तुम्हारा ध्यान आया ख़ुदा का शुक्र कि उस वक़्त बा-वुज़ू हम थे वह आईना तो नहीं था …

Read more

रुत-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4

रुत-राहत इन्दौरी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rahat Indori Part 4 क्या तूने नहीं देखा, दरिया की रवानी में क्या तूने नहीं देखा, दरिया की रवानी में, बहते हुए पानी में, तेवर भी तो उसका है, तू नूह का बेटा है, कुछ बस में नहीं तेरे, कश्ती भी तो उसकी है, लंगर भी तो उसका …

Read more