राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji

राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई ॥ राम नाम सिमरन बिनु बूडते अधिकाई ॥१॥ रहाउ ॥ बनिता सुत देह ग्रेह स्मपति सुखदाई ॥ इन्ह मै कछु नाहि तेरो काल अवध आई ॥१॥ अजामल गज गनिका पतित …

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