कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar सौन्दर्य- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar  आज शाम को- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar  डल झील का कमल- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi …

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सौन्दर्य- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

सौन्दर्य- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   तुम्हें देखते ही मुझमें कुछ अजब भाव जगता है; भीतर कोई सन्त, खुशी में भर, रोने लगता है। कितनी शुभ्र! पवित्र! नहा कर अभी तुरत आई हो? अथवा किसी देव–मन्दिर से यह शुचिता लाई हो? एकाकिनी नहीं तुम, कोई …

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आज शाम को- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

आज शाम को- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   आज शाम को फिर तुम आए उतर कहीं से मन में बहुत देर कर आने वाले मनमौजी पाहुन–से। लगा, प्राप्त कर तुम्हें गया भर सूनापन कमरे का, गमक उठा एकान्त सुवासित कबरी के फूलों से। लेकिन, सब …

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डल झील का कमल- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

डल झील का कमल- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   ओ सुनील जल! ओ पर्वत की झील! तुम्हारे कर में कमल पुष्प है या कोई यह रेशम का तकिया है, जिस पर धर कर सीस रात अप्सरी यहाँ सोई थी और भाग जो गई प्रात, पौ …

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बादलों की फटन- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

बादलों की फटन- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   बादलों के बीच छोटी–सी फटन है, ज्यों, गुलाबी रंग का परदा कहीं से फट गया हो। इस फटन के बीच से होकर अगर मैं कूद जाऊँ, कौन गिरने से उधर मुझको सँभालेगा? मूढ! ये पत्थर नहीं, हैं …

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नदी और पीपल- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

नदी और पीपल- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   मैं वहीं हूँ, तुम जहाँ पहुँचा गए थे। खँडहरों के पास जो स्रोतस्विनी थी, अब नहीं वह शेष, केवल रेत भर है। दोपहर को रोज लू के साथ उड़कर बालुका यह व्याप्त हो जाती हवा–सी फैलकर सारे …

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ओ नदी!- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

ओ नदी!- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar   ओ नदी! सूखे किनारों के कटीले बाहुओं से डर गई तू। किन्तु, दायी कौन? तू होती अगर, यह रेत, ये पत्थर, सभी रसपूर्ण होते; कौंधती रशना कमर में मछलियों की, नागफनियों के न उगते झाड़, तट पर दूब …

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पुरानी और नई कविताएँ- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

पुरानी और नई कविताएँ- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar (नो, हिज़ फर्स्ट वर्क वाज़ द बेस्ट। ए ज़रा पौंड) दोस्त मेरी पुरानी ही कविताएँ पसन्द करते हैं; दोस्त, और खास कर, औरतें। पुरानी कविताओं में रस है, उमंग है; जीवन की राह वहाँ सीधी, बे–कटीली है; …

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दो शब्द- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

दो शब्द- कोयला और कवित्व -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar ये कविताएँ पिछले पाँच–छह वर्षों के भीतर रची गई थीं। ज्यादातर सन् ’60 से इधर की ही होंगी। पुस्तक का नाम एक खास कविता के नाम पर है जो पुस्तक के अन्त में आती है। कुछ कविताएँ ऐसी हैं …

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गीत -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

गीत -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar कविता -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar Part 2  रोटी और स्वाधीनताकविता -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar Part 3 कविता -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar Part …

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