राधेय ही रहने देते-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
राधेय ही रहने देते-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh (दानवीर कर्ण की मनोदशा) राधेय ही रहने देते, क्यों मन में ऐसा तीर दिया। कुंती पुत्र बताकर, मन में जाने कैसा पीर दिया।। हे माधव मैं क्यू जन्मा जब गंगा में बहाना था। सूर्यपुत्र को सूतपुत्र ही जब सबको …