राधा-सखी संवाद-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji
राधा-सखी संवाद-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji घरहिं जाति मन हरष बढ़ायौ । दुख डार्यौ, सुख अंग भार भरि, चली लूट सौ पायौ ॥ भौंह सकोरति चलति मंद गति, नैकु बदन मुसुकायौ । तहँ इक सखी मिली राधा कौं, कहति भयौ मन भायौ । कुँज-भवन हरि-सँग बिलसि रस, …