राधा कृष्ण मिलन-द्वारिका चरित-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji
राधा कृष्ण मिलन-द्वारिका चरित-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji हरि सौं बूझति रुकमिनि इनमैं को बृषभानु किसोरी । बारक हमै दिखावहु अपने, बालापन की जोरी ॥ जाकौ हेत निरंतर लीन्हे, डोलत ब्रज की खोरी । अति आतुर ह्वै गाइ दुहावन, जाते पर-घर चोरी ॥ रचते सेज स्वकर सुमननि …