रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को-नज़्में-इब्न-ए-इंशा -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ibn-e-Insha

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को-नज़्में-इब्न-ए-इंशा -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ibn-e-Insha रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे धुँदले धुँदले चेहरे थे पर सब जाने-पहचाने थे ज़िद्दी वहशी अल्लहड़ चंचल मीठे लोग रसीले लोग होंट उन के ग़ज़लों के मिसरे आँखों में अफ़्साने थे वहशत का उनवान …

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