राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal प्रणय-परिक्रमा-किस करवट जीवन -राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal किस करवट जीवन-किस करवट जीवन -राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal परिचय…-किस करवट जीवन -राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal मन बावला फिर बोला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal अन्तरंग-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem …

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खाली घर- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

खाली घर- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   गोधूलि वेला में घर आता हूँ मैं गोधूलि वेला में घर आता हूँ मैं तब बन्द देखता हूँ द्वार। खुले किवाड़ों के भीतर से अब झाँकते-मँडराते अन्धकार के बीच टिमटिमाती चमकीली दो तारिकाओं का समुत्सुक स्वागत…नहीं, बन्द हैं द्वार। मेरे ही …

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कोर लग गयी- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

कोर लग गयी- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   जरा कोर की चोट लग गयी। मालती का कोमल फूल तो भी लगी उसकी टुनगी। थल में जल फिर जल पर व्योम एक घड़ी में देखे मैंने हजार सूरज-सोम गुंथाती गयी सपनों के दौर में नयी दुनियाँ। डंख का हो …

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कोई सुर का सवार- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

कोई सुर का सवार- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   कोई सुर का सवार आके उतरा अरव मेरे उर के दुआर कोई सुर का सवार। उसके अंगों से माटी की गन्ध महके रे नयनों में तेज का रंग पानी के झरने किल्लोलते क्या उसकी उछले उमंग उसकी उछले उमंग; …

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कहाँ- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

कहाँ- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   तुम नहीं तो… प्रिय समूची सृष्टि यह धूप-छाँह का चितकबरा चलचित्र न रेखा, न आकृति, न पहचान कोई विक्षुब्ध समुद्र का चारों ओर व्याप्त गहन गर्जन। शब्द नहीं, कूक भी नहीं, न कोई गान आँखें सिर्फ तुम्हें देखती, खोजतीं हृदय में सिर्फ …

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कविता- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

कविता- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   कोई लो आँख का अंजन! नहीं कलूटा काजल, सुरमा नहीं, नहीं समुद्रजल, अरे आँजने को नहीं शलाका, नहीं अंगुली नहीं चाहिए बादल ऐसा इसका इलम पानी का मीन बने नभ-खंजन। उसके अमल में कुछ नहीं दूर विराट वह वट-पर्ण, यहाँ- सपने समय …

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और वही तू?- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

और वही तू?- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   वह तू ही? जिसकी हथेली तो नागरवेल के खिले किसी नव पर्ण-सी छू गयी थी शीतल लालिमा भरी? और वही तू? जो कँटीला देखू यह शतशत शूल से बींधता थूहर? वह तू ही? जिसकी वाणी में संगीतकिन्नरी का मैंने आनन्द …

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ओस से भीने वन में- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

ओस से भीने वन में- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   ओस से भीने वन में बुलबुल गाये सुबह-सवेरे, समा देख महुआ बौराया, झरे फूल पियरे। दिल की भोली कोई किशोरी भरती अपनी झँपि, नभ के किनारे मुस्काये हैं अरुन सूर्य की अँखियाँ, तरुन बदन तेज में दमके, बेसर …

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एक और अनन्त- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

एक और अनन्त- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   अपनी इस गवाक्ष-गोष्ठी का एक साक्षी है आकाश। खुले न-खुले होठ की भले हो तो भी नेत्र में पल-पल चमकती वर्ण की फैलती है किरण जो कुछ दिखता है वह है शब्द का प्रकाश। तुम्हारे मेरे होठों पर, देखो प्रिय …

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उल्टी लगन- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

उल्टी लगन- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   अनदेखे पर प्यार निछावर दिल की उल्टी लगन। पतली डगर पर पाँव धरूँ, उसका आये कहीं न अन्त। मारग मेरा एकदम सूना नहीं कोई साथी-संगी इधर-उधर मुड़ती-गुड़ती जरा भी सीधा नहीं है ढंग; तो भी आँखों में है रंग…. मन मेरा …

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