अल्पविराम से आगे, न करो मेरा निर्माण-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

अल्पविराम से आगे, न करो मेरा निर्माण-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal मेरे उर पर पत्थर रख कर क्या देखूँ नयनों मे नीर भर कर गिरा मैं यहीं स्मृतियों से डर कर छल गया स्वर्ग, धरा पर ही उड गये प्राण अल्पविराम से आगे, न करो मेरा निर्माण विकल कंठ से अपनी व्यथा किसे …

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तोड़ गया अल्पविराम, आज समय की गति-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

तोड़ गया अल्पविराम, आज समय की गति-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal पाषाण हुये प्रणय के आभास नहीं हुआ कोई मन्मथ का रास मिट्टी हुआ आज हँसता अमलतास साँझ लौटी क्षितिज, रात झाँकती रही रति तोड़ गया अल्पविराम, आज समय की गति आँसू भी अब छोड़ गए नयन सुखा गयी तन स्मृतियों की तपन …

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बातों में अल्पविराम, निस्तब्ध कर गया जीवन-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

बातों में अल्पविराम, निस्तब्ध कर गया जीवन-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal पहले आँखों के बसा प्रणय-वंदन लिपटा बरसों तक स्पर्श से तन-मन फिर मौन अंधेरे मे गुम हुये उलझे स्पंदन मरा स्वर्ण-मृग उर की तपन मे करता क्रंदन बातों में अल्पविराम, निस्तब्ध कर गया जीवन समय के साथ अलग हुये सारे बंधन न …

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सिसकियों का अल्पविराम, दोहरा गया इतिहास-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

सिसकियों का अल्पविराम, दोहरा गया इतिहास-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal रात तुम्हारे ही वृत्तचित्र बना गये स्मृतियों मे मित्र और छोड़ गये हमे विजन मे विचित्र दूर अनछुआ ही रह गया बरसों का आभास सिसकियों का अल्पविराम, दोहरा गया इतिहास कैसे समझे बिखरते संबंध उलझी साँसों मे कस्तूरी गंध आँखों मे दरकते प्रणय …

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लगा अल्पविराम, तन सिमटा-मन मरा-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

लगा अल्पविराम, तन सिमटा-मन मरा-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal बधिर सुने कैसे प्रणय की बात फूटी आँखों मे, बीत गयी रात रति सिधारी ,दे गयी प्रीति को मात कैसी प्रत्याशा, घाट पर रह गया तन धरा लगा अल्पविराम, तन सिमटा-मन मरा न उतरे उर मे कोई संबंध वचन सहता जड़ सा मन पीड़ा …

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पल भर का अल्पविराम, उड़ गयी कस्तूरी-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

पल भर का अल्पविराम, उड़ गयी कस्तूरी-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal किस ऋतु मे मतवाली बोली थी कब प्रणय भरी आँखें खोली थी कहाँ छिपी है रातें जो मधु घोली थी अब अलसायी काया, रह गयी बात अधूरी पल भर का अल्पविराम, उड़ गयी कस्तूरी उन अधरों पर टूटती रातें सहना जड़ आँखों …

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बीता एक अल्पविराम, फिर बदल गया मौसम-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

बीता एक अल्पविराम, फिर बदल गया मौसम-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal स्मृतियों के घरौंदे आँधी झेलते रहे उड गया यौवन हम धूल देखते रहे अकेले ही आंखे फाड़े बाँट जोहते रहे नहीं लौटे वे दिन, समय तोड़ गया जीवन निर्मम बीता एक अल्पविराम, फिर बदल गया मौसम न वह बात रही न सजी …

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एक अल्पविराम गया, आगे तो विजन है मन-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

एक अल्पविराम गया, आगे तो विजन है मन-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal पुराने पृष्ठों पर आज धूल जमी उन पर बिछे शब्दों की पंक्तियाँ थमी ऊंची थी कल्पना,पर हुयी आभास की कमी अधूरी रही कहानी, अब न बचे हैं और क्षण एक अल्पविराम गया, आगे तो विजन है मन शब्दों पर मिट्टी पड़ी …

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हटा अल्पविराम, अब जीवन जल्दी-जल्दी ढलता है-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

हटा अल्पविराम, अब जीवन जल्दी-जल्दी ढलता है-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal यह सोच कर कि अंत नहीं है पास मन करने लगता है स्मृतियों से रास रात गयी सूनी, उसका किसे है आभास थका पथिक, मरीचिका मे दिशाहीन चलता है हटा अल्पविराम, अब जीवन जल्दी-जल्दी ढलता है समय के विस्तार मे कितनी बची …

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कल का एकाकी आज फिर लगा रहा पुकार-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal 

कल का एकाकी आज फिर लगा रहा पुकार-अल्पविराम-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal बीते दिन आँखों से नहीं झरते सुख सोच कर भी सपने हैं डरते अश्रु के हर बूंद से मूक मन भरते निर्लज्ज जीवन, फिर बहा प्रणय की धार कल का एकाकी आज फिर लगा रहा पुकार तुमसे यह अंतराल लगा जैसे …

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