राग यथा-रुचि-प्रेममालिका -भारतेंदु हरिश्चंद्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bharatendu Harishchandra
राग यथा-रुचि-प्रेममालिका -भारतेंदु हरिश्चंद्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bharatendu Harishchandra 1. प्यारी छबि की रासि बनी प्यारी छबि की रासि बनी। जाहि बिलोकि निमेष न लाग्त श्री वृषभानु-जनी॥ नंद-नंदन सों बाहु मिथुन करि ठाढ़ी जमुना-तीर। करक होत सौतिन के छबि लखि सिंह-कमर पर चीर॥ कीरति की कन्या जग-धन्या अन्या तुला न बाकी। वृश्चिक सी कसकति …