राग कल्याण-अभंगवाणी-संत नामदेव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Namdev Ji
राग कल्याण-अभंगवाणी-संत नामदेव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Namdev Ji 135 नाचि रे मन राम के आगे । ग्यांन बिचारि जोग बैरागे ॥टेक॥ नाचै ब्रम्हा नाचै इंद । सहस कला नाचै रवि चंद ॥1॥ रामकै आगै संकर नाचै । काल विकाल अकाललहिं नांचै ॥2॥ नारद नाचै दोइ कर जोडि । सुर …